प्रभु को प्राप्त करना है

प्रभु को प्राप्त करना है

(परम पूज्य उपाध्याय श्री विरंजनसागर महाराज की लेखनी से)

एक राजा ने यह ऐलान करवा दिया कि कल सुबह जब मेरे महल का मुख्य दरवाजा खोला जाएगा, तब जिस शख्स ने जिस चीज़़ को हाथ लगा दिया वह उसकी हो जाएगी।

ऐसे ऐलान को सुनकर सब लोग बातचीत करने लगे कि मैं तो सबसे महंगी चीज को हाथ लगाऊँगा। कुछ लोग कहने लगे कि मैं तो सोने को हाथ लगाऊंगा, कुछ लोग चांदी और कीमती जेवरात को, कुछ लोग घोड़े को, कुछ लोग दुधारू गाय को हाथ लगाने की बात कहने लगे।

जब सुबह महल का मुख्य दरवाजा खुला, तब सब लोग अपनी मनपसंद चीजों के लिए दौड़ने लगे। सबको इस बात की जल्दी थी कि पहले मैं अपनी मनपसंद चीज को हाथ लगा लूँ ताकि वह चीज़ मेरी हो जाए।

राजा अपनी जगह पर बैठा हुआ सबको देख रहा था और अपने आस-पास हो रही भाग-दौड़ को देखकर मुस्कुरा रहा था।

उसी समय उस भीड़ में से एक शख्स राजा की तरफ बढ़ने लगा तथा धीरे-धीरे चलता हुआ राजा के पास पहुँचकर उसने राजा को छू लिया। राजा को हाथ लगाते ही राजा उसका हो गया और राजा की हर चीज़ भी उसकी हो गई।

जिस तरह राजा ने उन लोगों को मौका दिया और उन लोगों ने गलतियाँ की अन्य वस्तुओं को पाने की, लेकिन राजा को पाने की बात किसी के दिमाग में नहीं आई, ठीक उसी तरह दुनिया का मालिक भी हम सबको रोज़ मौका देता है लेकिन अफसोस हम लोग हर रोज गलतियां करते हैं। हम प्रभु को पाने की बजाय उस परमपिता की बनाई हुई दुनिया की नश्वर चीज़ों की कामना करते हैं, लेकिन कभी भी हम लोग इस बात पर गौर नहीं करते कि क्यों न दुनिया को बनाने वाले प्रभु को ही पा लिया जाए। अगर प्रभु हमारे हो गए तो उसकी बनाई हुई हर चीज़ स्वतः हमारी हो जाएगी।

ओऽम् शांति सर्व शांति!!

विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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