मौत को सदा याद रखो
मौत को सदा याद रखो
(परम पूज्य उपाध्याय श्री विरंजनसागर महाराज की लेखनी से)
हर पानी की बूंद का मिटना तुम्हारी मौत का सूचक है, हर सूर्य का अस्त होना तुम्हारी मौत का सूचक है, हर फूल का मुरझा जाना तुम्हारी मौत का सूचक है, हर पत्ते का झड़ना तुम्हारी मौत का सूचक है। अपनी मौत को पहचानो। इसलिए मैं कहता हूँ कि अस्थियां बिखरने से पहले अपनी आस्था को जगा लो, अर्थी उठने से पहले जीवन के अर्थ को समझ लो, समय निकलने से पहले समय (आत्मा) को पहचान लो।
याद रखना कि सबकी डोली सजना कोई आवश्यक नहीं, लेकिन अर्थी सब की जरूर सजेगी। किसी की बचपन में, किसी की जवानी में और किसी की बुढ़ापे में। मौत तुम्हें जन्म से मरण तक, बचपन से बुढ़ापे तक बहुत दौड़ाती है। लेकिन बुढ़ापे के बाद तुम दौड़ भी नहीं पाते। बुढ़ापे के बाद तो केवल अर्थी ही उठती है, सामान्य व्यक्ति की भी और साधु संत की भी। बस! फर्क इतना ही है कि आपको अर्थी पर लिटा कर ले जाते हैं और साधु को पालकी में बैठा कर ले जाते हैं, क्योंकि आप सोते हुए पैदा हुए थे, सोते-सोते ही जीए और सोते-सोते ही दुनिया से चले गए। संत भले ही सोते हुए पैदा हुए, पर समय से पहले ही वे जाग गए। उन्होंने अपनी जिंदगी को जागते हुए व्यतीत किया। इसलिए उनकी जागृति का दर्शन कराने उन्हें बैठा कर ले जाते हैं। संत का चेहरा दिखा कर ले जाते हैं और तुम्हारा ढक कर ले जाया जाता है क्योंकि तुमने ऐसा कोई कार्य नहीं किया, जिससे तुम्हारा चेहरा किसी को दिखाया जाए और हाँ! तुम्हारी अर्थी में फूल और इत्र डाले जाते हैं और साधुओं की अर्थी पर, साधुओं की पालकी पर श्री फल चढ़ाया जाता है।
जब आपको शमशान घाट लेकर जाते हैं तो हर मिनट में लोग कंधा बदलते हैं क्योंकि तुम्हारा बोझ बहुत अधिक है और उनके कंधे दुःखने लगते हैं, पर संत की पालकी को उठाने का एक बार मौका मिल जाए, इसके लिए व्यक्ति लड़ते हैं कि हम भी हाथ लगाएंगे....हम भी हाथ लगाएंगे....।
अपने जीवन में मौत को सदा याद रखो।
भोंदूमल रास्ते से जा रहा था। रास्ते में उसे यमराज मिल गया। मौत आते ही आदमी भागने लगता है, पर वह यमराज से दोस्ती करने आता है। मौत हमेशा बिना बताए आती है, ठीक इनकम टैक्स ऑफिसर के समान। वह यमराज भोंदूमल को अपना दोस्त बनाता है। भोंदूमल शर्त रखता है कि जब तुम मुझे लेने आओगे तो कोई पत्र या कोई फैक्स कर देना। यमराज दोस्ती करके चला जाता है, लेकिन मौत का विस्मरण होते ही व्यक्ति भगवान और धर्म को भूल जाता है। भोंदूमल भी मौत को भूल गया और उसने धर्म-कर्म करना छोड़ दिया। ध्यान रखना कि मरने के बाद कुछ भी तुम्हारे साथ जाने वाला नहीं है। धन तिजोरी से बाहर आकर कुछ साथ निभाएगा, पत्नी घर की दहलीज के बाहर तक, कुटुंबी शमशान के बाहर चिता तक शरीर को पहुँचा़ देते हैं।
अरे! मरने के बाद तेरा पुण्य और तेरा पाप ही तेरे साथ जाएगा। दुनिया में रहने वाले तुझको क्या खबर?
तो भोंदूमल भी मौत को भूल गया था और एक दिन अचानक यमराज उसे लेने आया, तो भोंदूमल बोला कि तुमने मुझे मित्र बनकर धोखा दिया है। बिना बताए लेने आ गए हो। तो यमराज बोला कि मैंने तुम्हें चार पत्र भेजे लेकिन तुमने उन चारों को फाड़ डाला। उसने कहा - कौन से पत्र? तो यमराज बोला - पहले बालों को सफेद कर दिया, दूसरा दांत टूटने लगे, तीसरा आँखों की रोशनी कम हो गई और चौथा कानों से सुनना बंद हो गया। तुमने चारों पत्रों का कोई न कोई उपाय करके उन्हें फाड़ दिया। इसलिए अब आप अपने घर जाओ और देख लेना कि आपके नाम कौन सा पत्र आया हुआ है? कई लोगों के पास तो चारों पत्र आ चुके होंगे, लेकिन अगर एक पत्र भी आ गया है, तो संसार से संन्यास की ओर कदम बढ़ा लेना और अपना कल्याण कर लेना।
बस! इस सूत्र को धारण कर लेना कि मौत और भगवान को सदैव याद रखना है।
ओऽम् शांति सर्व शांति!!
विनम्र निवेदन
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धन्यवाद।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
🙏🙏🙏
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