अनमोल वचन - पुण्य-पाप, सुख-दुःख

अनमोल वचन - पुण्य-पाप, सुख-दुःख

(परम पूज्य उपाध्याय श्री विरंजनसागर महाराज की लेखनी से)

  1. धरती के पास सब कुछ है, लेकिन एक चीज नहीं है - घमंड

  2. पानी के पास सब कुछ है, लेकिन एक चीज नहीं है - छुआछूत की बीमारी

  3. शास्त्रों में सब कुछ है, पर एक चीज नहीं है - झूठ

  4. आदमी में सब कुछ है, पर एक चीज नहीं है - जीवन में सब्र नहीं है

  5. सत्य कड़वा लगता है पर वह होता बहुत मीठा है।

  6. महावीर भगवान कहते हैं - सुख में और दुःख में सब्र रखना चाहिए। थोड़ा-सा दुःख आया नहीं कि भगवान.... भगवान.... चिल्लाने लगे। भगवान तो न लेता है और न देता है। वह तो तराजू के समान है, जो सुख व दुःख दोनों पलड़ों को समान रखता है।

  7. व्यक्ति सुख में परमात्मा को याद नहीं करता।

  8. उपसर्ग और परिशह - जानबूझ कर दुःख लाना परिशह है और अकस्मात् दुःख का आ जाना उपसर्ग है।

  9. जिंदगी के बगीचे में सुख व दुःख दोनों होते हैं, जैसे अंगूर के बगीचे में सभी अंगूर मीठे भी नहीं होते और खट्टे भी नहीं होते।

  10. ऐसी चार चीजें होती हैं जो पहले सुख देती हैं और बाद में दुःख देती हैं -

    1. इन्द्रिय सुख।

    2. तलवार में लगा शहद।

    3. स्वान का हड्डी को चबाना।

    4. खाज खुजाना।

  11. ऐसी तीन बातें होती हैं -

    1. मजा - जो मन को अनुकूल लगे।

    2. सुख - जो शरीर को अनुकूल लगे।

    3. आनंद - जो आत्मा के अनुकूल हो।

  12. ऐसी तीन बातें होती हैं जो पहले दुःख देती हैं और बाद में सुख देती हैं -

    1. संयम।

    2. व्रत।

    3. नियम।

  13. ऐसी चार चीजें होती हैं जो पहले भी दुःख देती हैं और बाद में भी दुःख देती हैं -

    1. क्रोध।

    2. मान।

    3. माया।

    4. लोभ।

  14. ऐसी चार चीजें होती हैं जो पहले भी सुख देती हैं और बाद में भी सुख देती हैं -

    1. दया।

    2. करुणा।

    3. वात्सल्य।

    4. संत समागम।

  15. वैर की गाँठ बन जाए तो वह जन्म-जन्मांतर तक नहीं खुलती। गाँठ तो गाँठ होती है, चाहे वह गन्ने की हो या बांस की। उसमें कोई रस नहीं होता।

  16. कुछ जीवों का जन्म भी अंधेरे में होता है और वे दुनिया से अंधेरे में ही चले जाते हैं। (पशु के समान)

  17. कुछ जीवों का अंधेरे में जन्म होता है, वे ज्ञान में जीते हैं लेकिन अंत में परिणाम बिगड़े या भाव बिगड़े तो गति बिगड़ जाती है।

  18. कुछ जीवों का अंधेरे में जन्म होता है, पर वे उजाले में जीते हैं और उजाले में ही चले जाते हैं। (संत)

  19. कुछ जीवों का मिथ्यात्व में जन्म हुआ और अर्ध प्रकाश में जिए। (सामान्य मनुष्य)

  20. कुछ जीवों का उजाले में जन्म हुआ और उजाले में ही चले गए। (तीर्थंकर)

ओऽम् शांति सर्व शांति!!

विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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