भक्तामर काव्य - अक्षरों का अद्भुत चमत्कार

भक्तामर काव्य - अक्षरों का अद्भुत चमत्कार

(परम पूज्य उपाध्याय श्री विरंजनसागर महाराज की लेखनी से)

भक्तामर काव्य की समग्र रचना बहुत प्यारी व कल्याणकारी है। इसके प्रत्येक काव्य की प्रत्येक पंक्ति में अंगोपांग यानी 14 अक्षर हैं। एक काव्य में 46 अक्षर हैं और पूरे काव्य में 2688 अक्षर हैं। इन अक्षरों का एक अद्भुत चमत्कार है, जो आज भी इसका पाठ करने वाले भक्तों को चमत्कृत कर देता है।

पहला काव्य, 8वां काव्य, 16वां काव्य, 24वां काव्य, 32वां काव्य, 40वां काव्य और अंतिम 48वां काव्य - सबका आपस में गहरा संबंध है। प्रथम काव्य में ‘स्तुति का संकल्प’ है। आठवें काव्य में ‘आकिंचन’ का बोध कराया गया है। 16वें काव्य में आत्मा को परम शुद्ध कह दिया है कि आत्मा ‘निर्धूम दीपक’ के समान है। 24वें काव्य में ‘अनेकांत के जय घोष’ की घोषणा की है तथा अनेकांत की लोकप्रियता का वर्णन किया गया है। 40वें काव्य में बताया गया है कि अनेकांत सिद्धांत के अनुगामी के समक्ष ‘प्रलयकाल की अग्नि’ भी शांत हो जाती है तथा अंतिम 48वें काव्य में स्पष्ट कर दिया गया है कि ‘जो परमात्मा की भक्ति की माला पहनेगा, तो निश्चित ही वह परमात्मा का आलिंगन करेगा’

जिस भक्तामर काव्य का आप लोग अनवरत पाठ कर रहे हैं, उसका काव्य-सृजन कितनी गहन पीड़ा से गुज़रा है। बालक 9 महीने की गर्भ की पीड़ा को सहन करता है तथा जन्म के समय माता के साथ प्रसव-पीड़ा को सहन करता है। प्रसव-पीड़ा से गुज़रने के बाद ही मनुष्य का जन्म मिलता है। उससे कई गुणा पीड़ा कारागृह में आचार्य मानतुंग ने समतापूर्वक सही, तब भक्ति की अद्वितीय संतान भक्तामर काव्य (भगवान आदिनाथ स्तवन) का जन्म हुआ।

जिन-जिन आत्म-साधकों ने सम्यक् श्रद्धापूर्वक इसका पाठ किया है, उनके जीवन में चमत्कार अवश्य घटित हुआ है। आप भी गहन उपलब्धि के लिए इसका उपयोग करो और आत्म-साधना में इसे साधन बनाओ।

आचार्य मानतुंग ने भक्ति-काव्य से 48 ताले तोड़े, आप 48 कर्म के ताले तोड़ो, 14 गुणस्थानों को पार करो। 14 गुणस्थान के पार जाने के लिए ही तो काव्य की हर पंक्ति में 14 अक्षर हैं, जिसमें 7 अक्षर लघु हैं जो सप्तम गुणस्थान तक की यात्रा तय करने के प्रतीक हैं और 7 अक्षर गुरु हैं जो उपशम क्षपक श्रेणी, गुण-श्रेणी के प्रतीक हैं। आप भी इस काव्य की आराधना के माध्यम से अपनी आत्मा पर 14 गुणस्थानों पर होने का संस्कार डालें और अपना कल्याण करें।

ओऽम् शांति सर्व शांति!!

विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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