अपने से नीचे वाले को देखें
अपने से नीचे वाले को देखें
(परम पूज्य उपाध्याय श्री विरंजनसागर महाराज की लेखनी से)
यदि हम जीवन को पावन-पुनीत बनाना चाहते हैं, सुखी बनाना चाहते हैं तो हमें अपने आचरण, अपने सोच-विचार को बदलना होगा और पुरानी रूढ़िवादिता में न चल कर आज के सोच के हिसाब से चलना होगा। तभी हम अपने आपको, अपने जीवन को पावन बना सकते हैं। हमें सदा स्वयं को प्राप्त हुए सुख को देखना चाहिए लेकिन हम दूसरे के सुख को देख कर दुखी होते रहते हैं। हमें यदि सुखी होना है तो हमें सदा अपने से नीचे स्तर पर रहने वाले लोगों को देखना प्रारंभ कर देना चाहिए, तो जीवन में कभी भी दुःख नहीं आ सकता।
हम सुख का साधन केवल बाह्य वस्तुओं को ही मानते हैं। हम यही सोच कर दुःखी होते रहते हैं कि हमारा पड़ोसी इतना सुखी क्यों है? हर व्यक्ति अपने पुण्य से कमा रहा है और सुख भोग रहा है। हम भी अपने पुण्य-पाप से जैसा कमाएंगे, वैसा ही सुख मिलेगा।
अतः यदि अपने जीवन में खुश रहना है तो अपने से नीचे वाले को देखना आरंभ कर दो, जो कम संसाधनों में भी कितना सुखी है। व्यक्ति के जीवन में यदि कुछ साथ जाने वाला है तो उसका पुण्य-पाप ही है। जो कमाया है, वही साथ जाएगा। इसलिए जीवन में हमेशा पुण्य का काम करो, पूजा-पाठ में अपना समय बिताओ, व्यर्थ के कामों में नहीं।
ओऽम् शांति सर्व शांति!!
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धन्यवाद।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
🙏🙏🙏
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