आप से आपका भाग्य रूठे लेकिन भगवान नहीं

आप से आपका भाग्य रूठे लेकिन भगवान नहीं

(परम पूज्य उपाध्याय श्री विरंजनसागर महाराज की लेखनी से)

व्यक्ति को जीवन में अपने भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए दान और पूजा अवश्य करनी चाहिए। धन तो सबके पास होता है लेकिन उसका सदुपयोग करना कोई सौभाग्यशाली ही जान सकता है।

रावण के पास भी धन था, ऐश्वर्य था और भरत चक्रवर्ती के पास भी छ: खण्ड का राज्य था, लेकिन रावण ने अपने धन से सोने की लंका बनवा दी और भरत चक्रवर्ती ने कैलाश पर्वत पर सोने के 72 जिनालय बनवा दिए क्योंकि जीवन में ऐसा पुण्यकर्म हर किसी के भाग्य में नहीं होता। कभी तीनों चीजें एक साथ, एक समय में नहीं रहती - पैसा, पुण्य और भाग्य। ये तीनों कभी भी छूट कर जा सकते हैं। धन की देवी लक्ष्मी सदैव खड़ी दिखाई देती है और विद्या की देवी सरस्वती हमेशा बैठी रहती है।

लक्ष्मी संकेत देती है कि जिस दिन व्यक्ति का पुण्य खत्म हो जाएगा, उस दिन वह भी उसे दो लात मार कर चली जाएगी। इसलिए जीवन में सदा पुण्य का कार्य करते रहना चाहिए, दान-पूजा करते रहना चाहिए। जीवन में आपसे आपका पुण्य रूठ जाए तो पुनः कमाया जा सकता है, आपके रिश्तेदार रूठ जाएं तो उन्हें मनाया जा सकता है, लेकिन यदि आपसे आपका भाग्य रूठ जाएगा, तो जीवन में मुसीबतों का सैलाब आ जाएगा। इसके विपरीत जीवन में यदि आपके साथ भगवान रहेंगे, तो आपका भाग्य सौभाग्य में बदल जाएगा। चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन भगवान तुमसे कभी नहीं रूठेगा। इसलिए यदि आप अपने दुःख को सुख में बदलना चाहते हैं तो भगवान की पूजा-पाठ और दान-धर्म करते रहना चाहिए।

ओऽम् शांति सर्व शांति!!

विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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