महामंत्रः मुक्ति और सिद्धि का साधन

मुनि श्री विरंजन सागर जी महाराज

महामंत्रः मुक्ति और सिद्धि का साधन

महानुभावों! णमोकार मंत्र की साधना से ऐसी शक्ति मिलती है जिससे आप किसी भी संकट से मुक्त हो सकते हैं। यह महामंत्र मुक्ति और सिद्धि का साधन है। इसके द्वारा ही आत्म-कल्याण संभव है। वे लोग भ्रम में हैं जो इसे लौकिक कामनाओं की पूर्ति का साधन मानते हैं।

णमोकार मंत्र लौकिक कामनाओं की पूर्ति के लिए उपयोगी नहीं है। जो लोग इसका जाप कामना पूर्ति के लिए करते हैं वे अतृप्त होकर ही लौटते हैं। वे निराशा के गहरे गर्त में गिर जाते हैं, निराशा का अंधकार उन्हें अपने आगोश में ले लेता है और वे अपनी ऐसी अवस्था के लिए दूसरों पर दोषारोपण करने लगते हैं। 

यह मंत्र सभी कामनाओं व इच्छाओं को शांत कर देता है। पुण्य कर्म के उदय से संयोगवश लौकिक कामनाओं की पूर्ति होने पर आपको ऐसी भ्रांति हो जाती है कि यह लाभ हमें णमोकार मंत्र के जाप से ही हुआ है। हाँ, इस मंत्र की साधना व उपासना से आपको ऐसी शक्ति अवश्य मिल सकती है जिससे आप संकट-मुक्त हो जाते हैं। यह मंत्र उस अदृश्य शक्ति को प्रकट कर देता है।

आगे मुनि श्री कहते हैं कि यदि लौकिक कामनाओं की पूर्ति के लिए इस मंत्र का उच्चारण करेंगे तो कोई उपलब्धि नहीं होगी। सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए इस मंत्र का आश्रय लेने से हमारा संकल्प दूषित हो जाएगा। यदि आप सम्यक्त्व की प्राप्ति के लिए इस मंत्र की आराधना और साधना करते हैं तो आत्मोपलब्धि सुनिश्चित है।

णमोकार मंत्र हमें वह शक्ति देता है जिससे हम अपने मन के दास नहीं बल्कि स्वामी बन जाते हैं। मनस्वी हो जाते हैं। अतः हमें पूर्ण श्रद्धा से इसका जाप करना चाहिए ताकि हम इसकी सर्वश्रेष्ठता से परिचित हो सकें। पूर्ण परिचय प्राप्त करने के बाद ही हमें इसकी मिठास का अनुभव होगा और मन में तृप्ति का आभास होगा। मन में स्थिरता आ जाएगी।

आगे मुनि श्री ने कहा कि णमोकार मंत्र एक छेनी के समान है जो सम्यक्त्व की धार तेज़ करती है और मिथ्यात्व को तोड़ कर नष्ट कर सकती है। भेद विज्ञान की भाषा में कहें तो यह शरीर और आत्मा के मध्य दरार डाल कर उनकी अलग-अलग पहचान करा देती है। वास्तव में छेनी से अधिक महत्व उस कारीगर का होता है जो उसका प्रयोग करना जानता है। वह अनगढ़ पत्थर को भी छेनी की सहायता से सुंदर प्रतिमा का रूप दे सकता है। इसी प्रकार साधक इस मंत्र की साधना व उपासना से अपने अस्थिर मन को स्थिर बना कर असंभव को भी संभव बना सकता है।

मुनि श्री कहते हैं कि णमोकार मंत्र आपको शब्दों की सीमा के परे भावों के अलौकिक जगत में ले जाता है। हर शब्द में यह शक्ति नहीं होती जो भावों की दुनिया में ले जा सके जैसे हर पत्थर हीरा नहीं होता। वस्तुतः शब्द शक्ति-रूप होता है और उसकी शक्ति एवं महत्ता बोलने या प्रवचन करने वाले के भावों पर निर्भर है क्योंकि शब्द की शक्ति उसके भावों से अनुप्रेरित होती है। यही इस मंत्र में निहित शक्ति का रहस्य है।


ओऽम् शांति सर्व शांति!!

Comments

Popular posts from this blog

निष्काम कर्म

सामायिक

नम्रता से प्रभुता