डोली और अर्थी
मुनि श्री विरंजन सागर जी महाराज
डोली और अर्थी
एक जग में आ रही है और एक जग से जा रही है।
यह दुनिया का अद्भुत रिवाज़ है कि यहाँ सत्य जीवित लोगों को नहीं सुनाया जाता अपितु मुर्दों को सुनाया जाता है। जीते-जी तो आदमी इतने जंजालों में जकड़ा रहता है कि उसे कुछ अपना कल्याण करने की बात कहने जाओ, तो वह यही उत्तर देता है कि क्या करूँ, मरने की तो फुरसत है नहीं, तुम्हारी बात सुनने के लिए समय कहाँ से लाऊँ?
उसे फुरसत मिलती है, मरने के बाद। इसलिए मरने के बाद जब वह अर्थी पर चैन की नींद में सो रहा हो, तभी उसे सुनाया जा सकता है कि “राम नाम सत्य है, अरिहंत नाम सत्य है।”
जीवित अवस्था में तो सब यही कहते हैं कि तेरी पत्नी सत्य है, तेरा बेटा सत्य है, तेरा परिवार सत्य है, तेरी धन-सम्पत्ति सत्य है, तेरा मकान सत्य है, तेरा व्यापार सत्य है, तू सत्य है, तेरी पद-प्रतिष्ठा सत्य है।
बस! यह समझ ले कि यह सारा संसार ही सत्य है।
जब व्यक्ति मर जाता है तो उसे सुनाते हैं कि यह संसार तो मिथ्या है; केवल राम का नाम ही सत्य है।
सत्य तो यह है कि यह शरीर और इसके साथ मिला यह जीवन भी एक किराए का घर है जिसे मालिक के एक नोटिस पर खाली करना पड़ेगा। न कोई सुनवाई होगी और न समय की मोहलत दी जाएगी।
यदि कोई किराए के मकान को अपना समझने लगे और उस पर अपना अधिकार जमाने लगे तो उसे हम क्या कहेंगे?
पहचानो! जड़ सम्पत्ति को नहीं, अपनी वास्तविक सम्पत्ति को पहचानो।
जब हम विहार कर रहे थे तो एक गाना सुनाई दिया - डोली सजा के रखना। तब मैंने कहा कि इस गाने को इस प्रकार होना चाहिए - अर्थी सजा के रखना। कहने का तात्पर्य यह है कि डोली सजा कर रखने से अपना कल्याण नहीं होगा। सत्य और असत्य की पहचान करो और अर्थी को हर समय सजा कर रखो। यही शाश्वत सत्य है।
अर्थी उठने से पहले जीवन के अर्थ को नहीं समझे तो अनर्थ हो जाएगा और यह अमूल्य जीवन व्यर्थ हो जाएगा।
डोली सजने के लिए शुभ मुहूर्त निकाला जाता है, पर अर्थी को बिना मुहूर्त के ही उठाया जाता है।
“जब तेरी डोली निकाली जाएगी,
बिन मुहूर्त ही उठा ली जाएगी।
ज़र सिकन्दर का यहीं पर रह गया,
मरते दम लुकमान भी यूँ कह गया।
यह घड़ी हरगिज़ न टाली जाएगी।।
मौत और मोक्ष में बस इतना ही अन्तर है कि जो बार-बार आए, वह मौत है और जो एक बार मिले और जिसके मिलने के बाद मौत आए ही नहीं, वह मोक्ष है।
बार-बार जन्म से मुक्ति, बार-बार मरण से मुक्ति।
यदि आप मोक्ष पाना चाहते हो तो सत्य को पहचानो और अपना कल्याण करो।
ओऽम् शांति सर्व शांति!!
Waah
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