नमस्कार में चमत्कार है
मुनि श्री विरंजन सागर जी महाराज
नमस्कार में चमत्कार है
जो व्यक्ति अपने हृदय की गहराइयों से पंच परमेष्ठी की भक्ति करता है, वह स्वयं परमात्म-पद की प्राप्ति कर सकता है। णमोकार मंत्र में पंच परमेष्ठी को नमस्कार किया जाता है और इसका स्मरण अनादिकाल से किया जाता रहा है।
पंचमकाल में णमोकार मंत्र को सर्व प्रथम आचार्य भूतबलि व आचार्य पुष्पदंत ने षट्खण्डागम ग्रंथ में लिपिबद्ध किया है।
इस सर्वशक्तिमान मंत्र से 84 लाख मंत्रों की उत्पत्ति हुई है। जैन धर्म में चमत्कार को नमस्कार नहीं किया जाता। यहाँ नमस्कार में चमत्कार दिखाई देता है। जो जीव एक बार णमोकार मंत्र का जाप कर लेता है, उसके सर्वरोग नष्ट हो जाते हैं। आस्था पूर्वक श्रद्धा से की गई भगवान की भक्ति आपके सभी कष्टों का निवारण कर देती है।
लोग कहते हैं कि उस भगवान में चमत्कार है या उस क्षेत्र में अलौकिक शक्ति है, पर ऐसा नहीं है। चमत्कार और अलौकिक शक्ति तो आपकी भक्ति में है जो वहाँ जाने पर प्रगट हो जाती है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा है कि एक किसान खेत में बीज बोता है तो उसका उद्देश्य अच्छी फसल पाने का होता है। वह बीज की सुरक्षा करता है, समय-समय पर पानी देता है और फसल पकने तक प्रतीक्षा भी करता है। अंत में उसकी मेहनत रंग लाती है और वह अच्छी फसल का स्वामी बन जाता है। उसमें से अनाज के दाने निकालने के बाद कुछ भूसा बच जाता है, जो पशुओं के खाने के काम आता है।
इसी प्रकार भगवान की पूजा की जाती है उनके समान बनने के लिए। हमें पुण्य की फ़सल प्राप्त होती है और साथ में सांसारिक सम्पत्ति के रूप में भूसा भी मिलता है जो हमें सांसारिक कष्टों से मुक्ति देने का माध्यम बनते हैं। हम इसे चमत्कार मान बैठते हैं। हम समझते हैं कि भगवान की भक्ति से हमारे दुःखों का निवारण हुआ है, जबकि वह तो हमें भूसे के समान फ़सल के साथ मुफ्त में मिला है। हमने तो केवल अपने पुण्य बढ़ाने के लिए ही भक्ति की थी।
णमोकार मंत्र में पंच परमेष्ठी अरिहंत भगवान, सिद्ध भगवान, आचार्य, उपाध्याय और लोक के सर्व साधुजन को नमस्कार किया गया है। प्रथमानुयोग में सती सीता, मनोरमा, अंजना, मैनासुन्दरी, धनंजय सेठ, अंजन चोर आदि के अनेक उदाहरण दिए हुए हैं जिन्होंने णमोकार मंत्र के जाप से अपने कष्टों का निवारण किया। इनसे हमें भी णमोकार मंत्र के जाप से अपने कष्टों को दूर करने की प्रेरणा मिलती है।
तराजू के उदाहरण से भी समझाया जाता है कि तराजू स्वयं हमें पैसा नहीं देती पर पैसा कमाने का माध्यम भी वह तराजू ही है। इसी प्रकार भगवान की भक्ति तराजू के समान वह माध्यम है, जो हमें लक्ष्मी प्रदान करने में भी सहायक है।
णमोकार मंत्र के जाप और भगवान की पूजा-अर्चना के द्वारा हमें जन्म जन्मांतरों के कष्टों से छुटकारा मिल सकता है।
ओऽम् शांति सर्व शांति!!
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