अनमोल वचन - पुण्य-पाप, सुख-दुःख
अनमोल वचन - पुण्य-पाप, सुख-दुःख (परम पूज्य उपाध्याय श्री विरंजनसागर महाराज की लेखनी से) धरती के पास सब कुछ है, लेकिन एक चीज नहीं है - घमंड । पानी के पास सब कुछ है, लेकिन एक चीज नहीं है - छुआछूत की बीमारी । शास्त्रों में सब कुछ है, पर एक चीज नहीं है - झूठ । आदमी में सब कुछ है, पर एक चीज नहीं है - जीवन में सब्र नहीं है । सत्य कड़वा लगता है पर वह होता बहुत मीठा है। महावीर भगवान कहते हैं - सुख में और दुःख में सब्र रखना चाहिए। थोड़ा-सा दुःख आया नहीं कि भगवान.... भगवान.... चिल्लाने लगे। भगवान तो न लेता है और न देता है। वह तो तराजू के समान है, जो सुख व दुःख दोनों पलड़ों को समान रखता है। व्यक्ति सुख में परमात्मा को याद नहीं करता। उपसर्ग और परिशह - जानबूझ कर दुःख लाना परिशह है और अकस्मात् दुःख का आ जाना उपसर्ग है। जिंदगी के बगीचे में सुख व दुःख दोनों होते हैं, जैसे अंगूर के बगीचे में सभी अंगूर मीठे भी नहीं होते और खट्टे भी नहीं होते। ऐसी चार चीजें होती हैं जो पहले सुख देती हैं और बाद में दुःख देती हैं - इन्द्रिय सुख। तलवार में लगा शहद। स्वान का हड्डी को चबाना। खाज खुजाना। ऐसी तीन बातें होती हैं ...